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शनिवार, 30 नवंबर 2013

निर्भीक-आजाद पंछी: एक अपील उत्तम नगर के मतदाताओं के नाम

पढ़े और विचार करें, फिर अपनी वोट जरुर डालें. अपनी वोट डालने से पहले अपने भावी विधायक सेवा भावना और विचारधारा के साथ ही उसकी भविष्य की योजनाओं को जानने का प्रयास करें.
निर्भीक-आजाद पंछी: एक अपील उत्तम नगर के मतदाताओं के नाम:

निर्भीक-आजाद पंछी: एक अपील उत्तम नगर के मतदाताओं के नाम

पढ़े और विचार करें, फिर अपनी वोट जरुर डालें. अपनी वोट डालने से पहले अपने भावी विधायक सेवा भावना और विचारधारा के साथ ही उसकी भविष्य की योजनाओं को जानने का प्रयास करें.
निर्भीक-आजाद पंछी: एक अपील उत्तम नगर के मतदाताओं के नाम:

सोमवार, 6 मई 2013

आम आदमी पार्टी का टिकट हेतु आवेदन पत्र

पाठकों, मैंने "आम आदमी पार्टी" का उम्मीदवार चयन प्रक्रिया के तहत अपना निम्नलिखित फार्म भरकर भेजा है और उसके साथ अपना कवरिंग पत्र भेजा है. जिसमें मेरी संक्षिप्त विचारधारा के साथ थोडा सा जीवन परिचय देने का प्रयास किया है. आमने-सामने बैठने पर और उसकी विचारधारा से अवगत हुआ जा सकता है. लेकिन पत्र के माध्यम से अपनी विचारधारा से अवगत करवाने का प्रयास किया है. अब आप ही इस लिंक पर पढकर(यहाँ क्लिक करें) बताए कि आम आदमी पार्टी के संयोजक श्री अरविन्द केजरीवाल तक अपनी विचारधारा कितने सही तरीके से पहुँचाने में कितना कामयाब हुआ हूँ या नहीं.यहाँ पर भरे हुए फार्म के सभी पेज डालने का मात्र उद्देश्य इतना है कि अन्य व्यक्ति भी जानकारी प्राप्त करें. अपना फार्म भरे और व्यवस्था बदलने के लिए अच्छे व्यक्ति आगे आये.
 
 
 


मंगलवार, 11 सितंबर 2012

अपनी गरीबी पर संतोष है

धन के लिए जीवन नहीं किन्तु जीवन के लिए धन है. मुझे धन से अधिक मोह भी नहीं है. अगर मैं धन के लिए अपनी पत्रकारिता का प्रयोग करता. तब आज करोड़पति होता, मगर मुझे आज अपनी गरीबी पर संतोष है. मैं देश व समाजहित में अच्छे कार्य करके अपने जीवन की सार्थकता साबित करना चाहता हूँ और शायद कुछ अन्य लोग भी प्रेरणा लेकर देश व समाजहित में अच्छे कार्य करें.
मैं पहले भी कहता आया हूँ और आज ब्लॉग जगत पर फिर से कह रहा हूँ कि-मुझे मरना मंजूर है,बिकना मंजूर नहीं.जो मुझे खरीद सकें, वो चांदी के कागज अब तक बनें नहीं. दोस्तों-गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे. क्या पत्रकार केवल समाचार बेचने वाला है? नहीं. वह सिर भी बेचता है और संघर्ष भी करता है. उसके जिम्मे कर्त्तव्य लगाया गया है कि-वह अत्याचारी के अत्याचारों के विरुध्द आवाज उठाये. एक सच्चे और ईमानदार पत्रकार का कर्त्तव्य हैं, प्रजा के दुःख दूर करना, सरकार के अन्याय के विरुध्द आवाज उठाना, उसे सही परामर्श देना और वह न माने तो उसके विरुध्द संघर्ष करना. वह यह कर्त्तव्य नहीं निभाता है तो वह भी आम दुकानों की तरह एक दुकान है किसी ने सब्जी बेच ली और किसी ने खबर. 
मेरे/अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ . हम बस यह कहते कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा.फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा करों तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनियां हमेशा याद रखें.धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य/कर्म कमाना ही बड़ी बात है.हमारे देश के स्वार्थी नेता "राज-करने की नीति से कार्य करते हैं" और मेरी विचारधारा में "राजनीति" सेवा करने का मंच है. 

बुधवार, 28 मार्च 2012

देश का कैसा कानून है?

यह हमारे देश का कैसा कानून है?
जो वेकसुर लोगों पर ही लागू होता है. जिसकी मार हमेशा गरीब पर पड़ती है. इन अमीरों व राजनीतिकों को कोई सजा देने वाला हमारे देश में जज नहीं है, क्योंकि इन राजनीतिकों के पास पैसा व वकीलों की फ़ौज है. इनकी दिल्ली में व केंद्र में सरकार है. दिल्ली नगर निगम व दिल्ली पुलिस में इतनी हिम्मत नहीं है कि-इन पर कार्यवाही कर सकें. बेचारों को अपनी नौकरी की चिंता जो है. कानून तो आम-आदमी के लिए बनाये जाते हैं. एक ईमानदार व जागरूक इंसान की तो थाने में ऍफ़ आई आर भी दर्ज नहीं होती हैं. उसे तो थाने, कोर्ट-कचहरी, बड़े अधिकारीयों के चक्कर काटने पड़ते है या सूचना का अधिकार के तहत आवेदन करना पड़ता है. एक बेचारा गरीब कहाँ लाये अपनी FIR दर्ज करवाने के लिए धारा 156 (3) के तहत कोर्ट में केस डालने के लिए वकीलों (जो फ़ीस की रसीद भी नहीं देते हैं) की मोटी-मोटी फ़ीस और फिर इसकी क्या गारंटी है कि-ऍफ़ आई आर दर्ज करवाने वाला केस ही कितने दिनों में खत्म (मेरी जानकारी में ऐसा ही एक केस एक साल से चला था ) होगा. जब तक ऍफ़ आई आर दर्ज होगी तब तक इंसान वैसे ही टूट जाएगा. उसके द्वारा उठाई अन्याय की आवाज बंद हो जाएगी तब यह कैसा न्याय ?
सैंया भये कोतवाल फिर डर काहे का संदेश देते होडिग्स. हैं किसी के माई के लाल में दम जो इनको सजा दें सकें या जुर्माना कर सकें.

आप व आपके परिवार को श्री दुर्गा अष्टमी व रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं !

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, श्री लालबहादुर शास्त्री व महात्मा गांधी जैसे सिध्दांतों वाले निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा, अपराध विरोधी,  प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" चुनाव चिन्ह "कैमरा" के पूर्व प्रत्याशी (दिल्ली नगर निगम 2007 के उत्तम नगर वार्ड नं. 127 और उत्तम नगर विधानसभा 2008 ) का देश, समाज व प्रशासन को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए नारा " तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हारे अधिकारों के लिए अपना खून बहा दूँगा. भ्रष्टाचार मिटाओ, भारत बचाओ. तुम मेरा साथ दो, मैं तुम्हें समृध्द भारत दूँगा"  उत्तम नगर विधानसभा के बिंदापुर वार्ड नं- 128 के निर्दलीय उम्मीदवार पत्रकार रमेश कुमार जैन का चुनाव चिन्ह "कैमरा" का बटन दबाकर विजयी बनायें.  आशियाना:  शीश राम पार्क, सामने-शिव मंदिर, उत्तम नगर, न्यू दिल्ली-59 फ़ोन: 09868262751, 09910350461, 011-28563826  E-mail Id : kaimara200@gmail.com, sirfiraa@gmail.com, rksirfiraa@gmail.com     

रविवार, 25 मार्च 2012

निगम पार्षद ने कितनी मंहगाई कम की है ?

दोस्तों, इस बार बिंदापुर वार्ड नं. 128 से भाजपा के फ़िलहाल निगम पार्षद श्री अचल शर्मा ही मेरे विरोधी है. पिछली बार मतदातों को मंहगाई कम करने का वादा करके "वोट" हासिल किये थें. यह तो यहाँ के मतदाता ही जानते हैं की पांच साल में निगम पार्षद ने कितनी मंहगाई कम की है या मतदातों को मूर्ख बनाया था. देखते रहे इस बार भाजपा के उम्मीदवार श्री अचल शर्मा कैसे और कितना लोगों को मूर्ख बनाते है ?

शनिवार, 24 मार्च 2012

तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हारे अधिकारों के लिए अपना खून बहा दूँगा!


दोस्तों ! आपको पता है या नहीं मुझे पता नहीं है. मैंने दो बार चुनाव लड़े है. अगर आप मेरे सारे ब्लोगों की एक-एक पोस्ट को पढ़ें. तब आपको काफी जानकारी मिल जायेगी. हमने दो बार निर्दलीय चुनाव लड़े है. चुनाव चिन्ह "कैमरा" यानि तीसरी आँख से दोनों बार हारा हूँ. मगर अफ़सोस नहीं मुझे जितनी भी मुझे वोट मिले वो मेरी कार्यशैली और विचारधारा से मिली थी। इस बात खुशी है कि मैंने वोट लेने के लिए किसी को दारू नहीं पिलाई और न किसी को धमकाया या किसी प्रकार का लालच नहीं दिया. सब लोगों ने अपने विवेक से वोट दिया था. 
मेरे पास भारत देश को लेकर बहुत बड़ी सोच (विचारधारा+योजना) है। जिसका प्रयोग करके 'सोने की चिडियाँ" कहलवाने वाले भारत देश को "अमरीका" जैसे बीसियों देशों से आगे ले जाकर खड़ा कर दूँगा. हाँ, मैं जैसे यहाँ (गूगल,फेसबुक) पर नियमों को लेकर बहुत सख्त हूँ. उसी प्रकार से "हिटलर" जैसा तानाशाही प्रधानमंत्री बन देश को सिर्फ दो साल चलाना चाहता हूँ. उसके बाद जनता की अनुमति के बाद अगले तीन साल देश की बागडोर संभालूँगा. आज मेरे पास कुछ निजी कारणों से ( जिनसे शायद आप नहीं अधिकत्तर समूह के सदस्य और दोस्त कहूँ या पाठक परिचित भी है) पार्टी बनाने के लिए एक चवन्नी भी नहीं है. मगर देखो ख्याब देश को चलाने का और प्रधानमंत्री बनने का देख रहा हूँ. इसको कहते हैं ना हैं...हौंसला. बस मुझे ऐसे ही सिर्फ फ़िलहाल पूरे देश से 545 "सिरफिरे" भूखें-नंगे लोगों की जरूरत है. जिनको मैं सिर्फ रोटी-कपड़ा-मकान दूँगा. उनके अंदर मेरे हिसाब से वो गुणवत्ता होनी चाहिए. जिसकी मुझे चाह है. फिर आप देखते रह जायेंगे. समृद्ध भारत देश का नाम पूरे विश्व में एक नया उदाहरण देने वाला के रूप में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा. अब आप बताये भूखे-नंगे सिरफिरे लोगों आप अपनी वोट डालने के लिए जायेंगे. घर पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेते हुए टी.वी. पर फिल्म तो नहीं देखेंगे. अगर आप लोग देखते रह गए. तब 545 सिरफिरे चुनाव में हार जायेंगे और फिर कोई दल चुनाव जीतकर अपने स्विस के बैंक भर लेगा.
आज श्री अन्ना हजारे जी और बाबा रामदेव जी राजनीति में आने का कोई स्पष्ट इशारा नहीं दें रहें है. मेरे पास कुछ नहीं है.मगर अपने हौंसले के कारण बिना किसी सहारे के बिलकुल स्पष्ट इशारा देते हुए कह रहा हूँ कि-बिना गंदगी में उतरे गंदगी की सफाई नहीं की जा सकती है. मैंने दोनों व्यक्तियों के पास अपनी विचारधारा पहुँचाने के प्रयास किये मगर वहाँ से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिली. श्री अन्ना हजारे जी को लिखा पत्र तो मेरे ब्लॉग पर भी है.
         अब तीसरी बार फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूँ. मार्च या अप्रैल 2012 में दिल्ली में एम्.सी.डी.(दिल्ली नगर निगम ) के चुनाव है. उसके लिए मेरे पहले के दो नारे 1. भ्रष्टाचार मिटाओ,भारत बचाओ! 2.तुम मेरा साथ दो, मैं तुम्हें समृद्ध भारत दूँगा ! तैयार है ही और इस बार का एक नया नारा "तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हारे अधिकारों के लिए अपना खून बहा दूँगा !" भी तैयार है. इसलिए दिसम्बर 2011 के बाद ब्लॉग,फेसबुक और ऑरकुट से कुछ समय के लिए अवकाश लें लूँगा.
मुझे अपनी वहकी हुई और पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा पार करती मेरी "कलम" के लिए मुझे फाँसी की भी सजा होती है।तब मैं अपनी फाँसी के समय से पहले ही फाँसी का फंदा चूमने के लिए तैयार रहूँगा और देश के ऊपर कुर्बान होने के लिए अपनी खुशनसीबी समझूंगा. इसके साथ ही मृत देह (शरीर) को दान करने की इच्छा है और अपनी हडियों की "कलम" बनवाकर देशहित में लिखने वाले पत्रकारों को बांटने की वसीयत करके जाऊँगा. ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ पर(राजनीति) क्लिक करें और पढ़ें.
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